स्नेह लेकर खड़ी है नियति सुंदरी तुम सराबोर खुशियाँ लुटाते रहो.
प्यार का सारा भंडार तेरे लिए तुम तराने सदा गुनगुनाते रहो.
तेरे हाथों में है फैसला हर घड़ी
बाँट लो चाहे खुशियाँ या गम का ज़हर
खुद को विश्वास आशा से चाहे भरो
चाहे ढाओ खुदी पर भयानक कहर
तुम नाकारा बनो या सकारा बनो तुम ना रोया करो मुस्कुराते रहो .
प्यार का ..................................................................................
मन में विश्वास का दीप यदि जल उठा
सारे संशय अंधेरो के छट जायेंगे
मन की गंगा उमड़ कर बह उठी
राह के सारे चट्टान ढह जायेंगे
तुम सृजन के पथिक ताजगी के लिए स्नेह निर्झर में अविरल नहाते रहो
प्यार का ........................................................................................
घट ह्रदय का तुम्हारे अमृत से भरा
तुम अमर हो अमरता को पहचान लो
दीन याचक नहीं पूर्णता के पथिक
छोड़ विस्मृत स्वयं को स्वयं जान लो
तुम सुधा धार सबको लुटाते रहो
प्यार का ..........................................................................................
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Thursday, May 6, 2010
chunouti
चलो चुनौती हम स्वदेश की नवजवान स्वीकार करें नव -विचार का सत्साहस का जन-जन में संचार करें |
कुटिल स्वार्थ संकीर्ण विचारों का छाया अँधियारा है |
आहत मानवता कराहती सिसका भारत सारा है |
खुशहाली के हेर दुश्मन पर , मिल जुल कर हम वार करें ||
नव विचार ........................................................................................................................................|
बेकारी तंगी बदहाली भारत माता बिलख रही |
आज दहेजी बलि -वेदी पर सितायें हैं धधक रहीं |
मुक्ति चाहिए नर पिसाच से , हम इनका प्रतिकार करें ||
नव विचार ...........................................................................................................................................|
एक नया भारत रचना है स्नेह भरे वयोहारों से |
देश नया गढ़ना -बढ़ना है आगे चाँद सितारों से |
भारत माता से स्वराष्ट्र से , सच्चे मन से प्यार करें ||
नव विचार ..........................................................................................................................................|
कुटिल स्वार्थ संकीर्ण विचारों का छाया अँधियारा है |
आहत मानवता कराहती सिसका भारत सारा है |
खुशहाली के हेर दुश्मन पर , मिल जुल कर हम वार करें ||
नव विचार ........................................................................................................................................|
बेकारी तंगी बदहाली भारत माता बिलख रही |
आज दहेजी बलि -वेदी पर सितायें हैं धधक रहीं |
मुक्ति चाहिए नर पिसाच से , हम इनका प्रतिकार करें ||
नव विचार ...........................................................................................................................................|
एक नया भारत रचना है स्नेह भरे वयोहारों से |
देश नया गढ़ना -बढ़ना है आगे चाँद सितारों से |
भारत माता से स्वराष्ट्र से , सच्चे मन से प्यार करें ||
नव विचार ..........................................................................................................................................|
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