रात के सन्नाटे में
टिक टिक करती घड़ी की सुइयां
अहसास कराती हैं
अपने अकेलेपन का
याद दिलाती हैं भूले बिसरे दिन
और कहती हैं कि
बहुत हो गया आ अब लौट चलते हैं
उन बस्तियों में जहाँ से
शुरू किया था तूने
ये कभी ना ख़त्म होने वाला
सफ़र ...................
श्वेत
टिक टिक करती घड़ी की सुइयां
अहसास कराती हैं
अपने अकेलेपन का
याद दिलाती हैं भूले बिसरे दिन
और कहती हैं कि
बहुत हो गया आ अब लौट चलते हैं
उन बस्तियों में जहाँ से
शुरू किया था तूने
ये कभी ना ख़त्म होने वाला
सफ़र ...................
श्वेत
बहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर