सारा देश फैज़ अहमद फैज़ की जनम शती मन रहा है | एक ऐसा शाएर जिसने अपनी जिंदगी में कभी हार नहीं मानी| और जिस पर देशद्रोह का इलज़ाम भी लगा जिसने विस्थापन झेला |जेल कटी फिर भी लोगो की स्मृति में उनके लिए आज भी वही अपनापन और प्यार जिन्दा है प्रस्तुत है उनके कुछ कहे अनकहे नगमे
बर्बते -दिल के तार टूट गए ,है जमी बोस राहतों के महल
मिट गए किस्सा हा-ऐ -फिक्र -औ -अमल ,बज्मे हस्ती के जाम फूट गए
छीन गया कैफे- कौसर-औ -तसनीम , ज़ह्माते -गिरिया औ -बुक -बे -सूद
हो चूका ख़त्म रहमतो का नुज़ूल ,बंद है मुद्दतों से बाबे -कबूल ,
बे -नियज़े -दुआ है रब्बे -करीम ,बुझा गई शम्मे -आरजूए - ज़मील
याद बाकि है बेकसी की दलील , इन्तजारे -फ़िज़ूल रहने दे
राजे -उल्फत निबाहने वाले ,बारे -गम से कराहने वाले
काविशे -बे -हुसूल रहने दे \
बर्बते -दिल के तार टूट गए ,है जमी बोस राहतों के महल
मिट गए किस्सा हा-ऐ -फिक्र -औ -अमल ,बज्मे हस्ती के जाम फूट गए
छीन गया कैफे- कौसर-औ -तसनीम , ज़ह्माते -गिरिया औ -बुक -बे -सूद
हो चूका ख़त्म रहमतो का नुज़ूल ,बंद है मुद्दतों से बाबे -कबूल ,
बे -नियज़े -दुआ है रब्बे -करीम ,बुझा गई शम्मे -आरजूए - ज़मील
याद बाकि है बेकसी की दलील , इन्तजारे -फ़िज़ूल रहने दे
राजे -उल्फत निबाहने वाले ,बारे -गम से कराहने वाले
काविशे -बे -हुसूल रहने दे \
फैज़ साहब की ग़ज़ल पढवाने के लिए धन्यवाद|
ReplyDeleteसाधुवाद
ReplyDeletesundar
ReplyDeleteइस सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी चिट्ठा जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteaapka bahut bahut shukriya .......is hauslaafzai ke liye
Deletehusala aafzai ke liye aap sabhi ka tahe dil se shukriya
ReplyDeleteshukriya sir jawab me deri ke liye kshma prarthin hu .....aap sab ne mujhe itna hausla diya uske liye abhar
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